२४ मार्च, १९७२

 

 आज सवेरे पहली बार मैंने अपने-आपको, अपने शरीरको देखा -- मुझे पता नहीं कि वह अतिमानसिक शरीर था या... (कैसे कहूं?) संक्रमणकालका शरीर । लेकिन मेरा शरीर एकदम नया था, इस अर्थमें कि वह अलैंगिक था, यानी, न स्त्री था, न पुरुष ।

 

  वहं बहुत गोरा था । लेकिन शायद यह इसलिये कि मेरी त्वचा गोरी है, पता नहीं ।

 

  वह बहुत तन्वंग था (छहरेपनका संकेत) - वह सुन्दर था । सचमुच सामंजस्यपूर्ण रूप ।

 

  तो यह पहली बार था । मै बिलकुल न जानती थी । मुझे कोई अंदाजा न था कि वह कैसा होगा, बिलकुल नहीं । और मैंने देखा -- मैं ऐसी हूं । मै ऐसी हो गयी थी ।